मतदान प्रतिशत रिपोर्टिंग प्रक्रिया को उन्नत करने हेतु निर्वाचन आयोग की पहल

पाली, 3 जून। भारत निर्वाचन आयोग अब एक सुव्यवस्थित, प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली की शुरुआत कर रहा है ताकि मतदान के अनुमानित प्रतिशत रुझानों की समय पर जानकारी प्रदान की जा सके। यह नई प्रक्रिया पूर्व की मैनुअल रिपोर्टिंग विधियों के द्वारा लगने वाली देरी को काफी हद तक कम करती है। यह पहल आयोग की सार्वजनिक संचार को समयबद्ध रूप से सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जिसे मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार विभिन्न अवसरों पर रेखांकित कर चुके हैं।

1961 के निर्वाचन नियमों के तहत बनाए गए “चुनाव संचालन नियम”, नियम 49S के अंतर्गत, पीठासीन अधिकारी (PrO) मतदान समाप्ति के समय प्रत्येक मतदान केंद्र पर उपस्थित उम्मीदवारों द्वारा नियुक्त मतदान एजेंटों को रिकॉर्ड किए गए मतों का लेखा-जोखा प्रदान करने वाले प्रपत्र 17C को सौंपने के लिए बाध्य हैं, यह वैधानिक प्रावधान यथावत रहेगा।
हालाँकि, वोटर टर्नआउट (VTR) ऐप को अपडेट करने की प्रक्रिया — जो अब तक एक सहायक, गैर-वैधानिक प्रणाली के रूप में विकसित हुई थी — को अब तेज और कुशल बनाने के लिए पुनः संरचित किया जा रहा है, ताकि मतदान प्रतिशत के अनुमानित रुझनों की समय पर जानकारी दी जा सके।
इस नई पहल के तहत, प्रत्येक मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी (PrO) अब मतदान दिवस पर हर दो घंटे में ECINET ऐप पर सीधे मतदाता उपस्थिति दर्ज करेंगे, जिससे आंकड़ों के अद्यतन में देरी को कम किया जा सकेगा। यह जानकारी स्वचालित रूप से निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर एकत्र की जाएगी। मतदान प्रतिशत के अनुमानित रुझान पूर्ववत् हर दो घंटे में प्रकाशित किए जाते रहेंगे।
महत्वपूर्ण रूप से, मतदान समाप्ति के तुरंत बाद, पीठासीन अधिकारी मतदान केंद्र छोड़ने से पहले ECINET ऐप पर आंकड़े दर्ज करेंगे। इससे देरी कम होगी और मतदान के तुरंत बाद निर्वाचन क्षेत्रवार अनुमानित मतदान प्रतिशत VTR ऐप पर उपलब्ध हो सकेगा — बशर्ते नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध हो। जहाँ मोबाइल नेटवर्क अनुपलब्ध हैं, वहाँ आंकड़े ऑफ़लाइन दर्ज किए जा सकेंगे और कनेक्टिविटी मिलते ही सिंक हो जाएंगे।
यह उन्नत VTR ऐप बिहार चुनावों से पहले ECINET का अभिन्न अंग बन जाएगा।
पूर्व में, मतदान प्रतिशत आंकड़े सेक्टर अधिकारियों द्वारा मैनुअली एकत्र किए जाते थे और उन्हें फोन कॉल, एसएमएस या मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से रिटर्निंग अधिकारियों (ROs) तक पहुँचाया जाता था। यह जानकारी हर दो घंटे में एकत्रित कर VTR ऐप पर अपलोड की जाती थी। मतदान प्रतिशत के रुझन अक्सर घंटों बाद अपडेट होते थे, क्योंकि भौतिक रिकॉर्ड देर रात या अगले दिन तक पहुँचते थे, जिससे 4–5 घंटे या उससे अधिक की देरी होती थी और इससे कई बार भ्रम की स्थिति बनती थी। अब इससे निजात मिलेगी।
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