पाली- अपने भूखंड के पट्टे को लेकर पिछले 12 सालों से नगर परिषद व जिला कलेक्टर के यहां चक्कर पर चक्कर लगाने पर मजबूर है लेकिन प्रशासन के कानो में जु तक नहीं रेंगती। 12 सालों में कई सरकारी आई कई सरकारी गई यहां तक की नगर परिषद में दो बार सरकारी बन गई और सभापति भी उसे लंबे अंतराल में कई आयुक्त भी आकर चले गए । सभी के सामने अपने भूखंड के पट्टे बनाने की फरियाद कर चुके लेकिन कोई भी समस्या का समाधान नहीं कर रहा। आज फिर नगर परिषद आयुक्त आशुतोष आचार्य को ज्ञापन शॉप अपने भूखंड के पत्ते दिलवाने की मांग रखी। मांग में विनोद कुमार तेजी ने बताया की नगर परिषद पाली के आयुक्त को 32 बिन्दुओं का 11 पृष्ठों का प्रार्थना पत्र दिया जिसमें कहा गया कि विनोद कुमार तेजी को कार्यालय पटवार मण्डल पाली चक द्वितीय द्वारा खसरा नम्बर 631 व 632 की वर्तमान स्थिति की मौका रिपोर्ट बनाई गई जिसमें खसरा नम्बर 632 में मेरा मकान होना नहीं बताया गया और मेरे मकान को खसरा नम्बर 631 में होना बताया गया है। वर्ष 1997 से कब्जाशुदा, खरीदशुदा, रहवासीय मकान का पट्टा दिलाने के संबंध में वर्ष 2012, 2013, 2021 से 2024 तक प्रशासन शहरों के संग अभियान में सरकार द्वारा पट्टा बनाने के सम्बन्ध में अनेक आदेश व कई छूट एवम रियायतें प्रदान की गई कि जो भी जहाँ भी कच्चा पक्का मकान बनाकर रह रहा है तथा उसके पास कब्जा है साथ ही उस जगह के दस्तावेज है तो उसे पट्टा दिया जायेगा। तेजी ने बताया कि अपने मकान का पट्टा बनाने हेतु समस्त दस्तावेजी औपचारिकताऐं पूरी करते हुए विनोद कुमार ने दिनांक 2012 व दुबारा दिनांक 2013 में आवेदन कर रखा है परन्तु विनोद कुमार को आज दिन तक नगर परिषद ने पट्टा नहीं दिया है तथा वर्ष 1997 से इस भूखण्ड़ मय मकान पर रहवास सहित आज दिन तक कब्जा चला आ रहा है। उन्होनें बताया कि नगर परिषद द्वारा पिछले कई वर्षों से कहा जा रहा है कि खसरा नम्बर 632 हमारी स्कीम ऐरिया का है। नगर परिषद स्कीम ऐरिया के पट्टे नहीं दे सकती जबकि नगर परिषद द्वारा स्कीम ऐरिया के दो भूखण्ड़ों के पट्टे (1) अरूण जैन (2) जबरसिंह को दिये गये है तो विनोद कुमार के साथ 12 वर्षों से नाईसांफी व भेदभाव क्यों किया जा रहा है? जिसके चलते विनोद कुमार द्वारा पिछले 12 वर्षों से नगर परिषद को कागजात पेश किये जा रहे है कि उसका मकान खसरा संख्या 631 में ही है जिसकी प्रमाणित जमाबन्दी पटवारी द्वारा मय मुहर के साथ व नक्शा ट्रेस में भी विनोद कुमार का मकान खसरा संख्या 631 में ही आ रहा है। जिसके सम्बन्ध में सैंकड़ों बार नगर परिषद कार्यालय में दस्तावेज दिये जा चुके है। जबकि नगर परिषद ने इस मकान को व्यवसायिक योजना में दिनांक 01-11-2012 को लिया है और 1997 से इस मकान पर कब्जा चला आ रहा है। यही नहीं नगर परिषद ने इस मकान के मालिक गणपत से गृहकर के 755/- रूपये भी लिये है। जिसमें गणपत के नाम का बिजली कनेक्शन भी लिया हुआ है। विनोद कुमार ने बताया कि नगर परिषद द्वारा पिछले कई वर्षों से कहा जा रहा है कि विनोद कुमार द्वारा नियमन हेतु जो आवेदन प्रस्तुत किया गया है वो हमारी व्यवसायिक योजना का भूखण्ड़ संख्या 3 है। दिनांक 07-06-2012 को नगर परिषद द्वारा सर्वे किया गया जिसमें विनोद कुमार तेजी को मकान का नम्बर 615 दिया गया तथा विनोद कुमार तेजी के आधार कार्ड, पहचान पत्र, राशन कार्ड, वोटर लिस्ट में नाम, बिजली-पानी के कनेक्शन भी इसी मकान के पट्टे के अनुसार बने हुए है। अगर मुझे जल्द ही अपने भूखंड का पट्टा नही दिया गया तो मुझे भूख हड़ताल पर बैठना पड़ेगा।
12 सालों से अपने ही भूखंड के पट्टे बनवाने को लेकर क्यों ठोकरे खाने पर मजबूर है एक दलित फरियादी ,,न्यूज को पूरा पढ़े,,,
