पाली में एक प्रेस कांफ्रेंस में राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं डीएनटी समन्वय समिति के अध्यक्ष लालजी राईका ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा किविमुक्त ,घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समाजों के लिए रेनेके और इदाते आयोग की रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों ने नीतियाँ बनाई हैं । लेकिन राजस्थान सरकार ने केवल उदासीन रवैया अपनाया है । प्रेस कांफ्रेंस को राष्ट्रीय पशुपालक संघ के संस्थापक उपाध्यक्ष झालाराम देवासी और भिकु सिंह राईका ने संबोधित करते हुए कहा कि जातियों को सूचीबद्ध करने में अनेक विसंगतियाँ हैं जैसे रैबारी लिखा है लेकिन उसके पर्याय सब्द राईका ( रायका) और देवासी नहीं लिखा है इससे उनके पहचान सर्टिफिकेट नहीं बन रहे , जोगी कालबेलिया लिख दिया जबकि जोगी और कालबेलिया अलग अलग है , बावरी लिखा है लेकिन बागरिया नहीं लिखा है, नायक और भोपा एक ही जाति है लेकिन उनको अलग अलग वर्ग में डाल दिया है, बनजारा, भाट और राव एक ही है लेकिन उनमें भी भूल की है ।इनके सुधार के लिए हमनें कैबिनेट मंत्री श्री मदन दिलावर को ज्ञापन भी दिया लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ ।
लालजी राईका ने बताया कि इन आयोगों के आधार हमारी डीएनटी समन्वय समिति ने एक माँग पत्र बनाया है और इन माँगों के लिए यह समन्वय समिति राष्ट्रीय पशुपालक संघ और विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू परिषद के नेतृत्व में आंदोलन करेगी ।
हम 7 जनवरी को पाली में “ बहिष्कार आंदोलन “ करेंगे जिसमें सरकार की आधी-अधूरी योजनाओं का बहिष्कार करेंगे और उस आदेश की होली जलायेंगे जिसमें हमारी जातियों के साथ विसंगतियाँ की है और जिसे हम अन्यायपूर्ण समझते हैं ।
आंदोलन रैली की डिटेल :
दिनांक : 7 जनवरी 25
एकत्र होने का स्थान : देवासी हॉस्टल , सूरजपोल , पाली
सभा का समय : सुबह 11 बजे
देवासी हॉस्टल से रैली 3 से 5 बजे के बीच कलेक्टर ऑफिस तक जाएगी ।
इसका रूट रहेगा : देवासी हॉस्टल -सूरजपोल चौराहा -अंबेडकर सर्किल -शिवाजी सर्किल -सूरजपोल गेट – सूरजपोल चौराहा – कलेक्टर ऑफिस ।
डीएनटी माँग पत्र : ( charter of Demands )
1. डीएनटी समाज को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में 10% आरक्षण दिया जाये जिसकी सिफ़ारिश रेनके आयोग ने भी की है । राजस्थान में इन जातियों की अनुमानित जनसंख्या क़रीब 15% है इसलिए 10% आरक्षण की माँग उचित है । इन जातियों में अधिकतर अनुसूचित जाति , अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है लेकिन इनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय “ आरक्षण के भीतर आरक्षण “ के तहत इन समाजों को अलग से 10% आरक्षण दिया जाना चाहिए ।
2. पंचायती राज्य संस्थाओं और शहरी निकायों में इनके लिए 10% सीटें आरक्षित की जाये । क्योंकि ये जातियों बिखरी हुई हैं इसलिए एक साथ वोट नहीं कर पाती हैं , इसलिए इन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए 10% सीट राज्य सभा में आरक्षित किया जाये ।
3. जहाँ पर इनके आवास हैं या बाडा है उसी को नियमित पर पट्टे दिये जाये ।
4. आवासहीनों को शहर में 100 वर्ग गज और गाँवों में 300 वर्ग गज आवास के लिए और 300 वार गज पशुओं के बाड़े के लिए दी जाये ।
5. शिक्षा के लिए शिक्षा बजट का 10 % हिस्सा अलग किया जाये और उसमें से इनके लिए आवासीय विद्यालय , कला महाविद्यालय , महा आंगनबाड़ी , हॉस्टल, कौशल कॉलेज आदि खोले जायें ।
6. उन्हें “ कहीं भी शिक्षा ( anywhere education) का प्रावधान किया जाये और उनके बच्चों को “ शिक्षा अधिकार ( right to education) में प्राइवेट स्कूल में प्रवेश में प्राथमिकता दी जाये और उनकी फ़ीस की सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाये ।
7. महिलाओं और युवाओं को आधुनिक उद्योग जैसे इलेक्ट्रॉनिक , कंप्यूटर मैन्यूफ़ैक्चरिंग में ट्रेनिंग देकर रोज़गार दिया जाये क्योंकि इन जातियों में बचपन से ही कला की प्रवति होती है इसलिए इन उद्योगों के लिए वे कुशल कर्मचारी साबित होंगे । सभी प्राइवेट उद्योगों को इस समाजों को रोज़गार देने का लक्ष्य दिया जाये ।
8. प्रति वर्ष 1000 विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा के लिए भेजा जाये जिसका पूरा खर्च सरकार वहन करे ।
9. इनके लिए अलग मंत्रालय, वित्त निगम और लोन की सुविधा होनी चाहिए .