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पाली/ सांडेराव ,,, कहते हैं कि जिले से संभाग बनता है तो वहा विकास के कार्य और जनता के लिए सुविधा बढ़ जाती है। लेकिन ये सिर्फ कहने और पढ़ने में अच्छा लगता है वास्तविकता में तो ऐसा लगा रहा है जैसे पंचास साल पूर्व में चले गए हो। मंत्री जी की अधिकारी नहीं सुनते और ना अपने हुक्मरानों की। रोड के विकास के लिए नेताजी ने बजट तो पास कर दिया और वो बजट का आधा हिस्सा सिर्फ कागजों में विकास हो गया और पैसा हजम । और किसान अपनी जान जोखिम में डाल खेतो में काम करने जाने पर मजबूर है।बता दे की पाली लोकसभा से पीपी चौधरी एक बार केंद्रीय मंत्री तो एक बार सांसद भी रहे हे। फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास नही हो पाया है।
जी हां हम बात कर रहे हे पाली संभाग के सुमेरपुर विधानसभा स्थित सांडेराव गांव की जहां किसानों को अपने खेत में जाने के लिए गहरे गड़ो के बीच जान जोखिम में डालने वाली रोड से गुजर कर खेतों में काम कर रहे हैं ताकि वह अपने परिवार को जो जून की रोटी कमा सके। स्थानिक किसानों का कहना है कि हमारे गांव में आजादी के बाद खेतों में जाने वाले रोड आज दिन तक नहीं बनी, हमने कई बार जिला कलेक्टर स्थानीय एसडीएम ,और प्रशासनिक अधिकारियों सहित मंत्री जी के पास भी जाकर अपनी समस्या को बताया। यहां तक की सुमेरपुर विधायक एव वर्तमान मंत्री जी ने संबंधित विकास अधिकारी और पंचायत के बड़े ओहदे पर बैठने वालों को निर्देश दिए की खेतों में जाने वाली सड़क का निर्माण कराया जाए। विधायक कोटे से 21 लख रुपए भी पारित हुए लेकिन वह भी बिना सड़क बन ही कागजों में खर्च हो गए। किसानों का कहना है कि हमने जिला कलेक्टर सहित संबंधित अधिकारियों से भी कई बार मिले लेकिन हमारी कोई नहीं सुन रहा। हमें खेतों में जाने के लिए गहरे गड्ढे और उनमें भरे कीचड़ से जान जोखीम में डालकर खेतों में जाना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि बरसात के दिनों में काफी परेशानी हो जाती है जिसकी वजह से खेतों में नहीं जा सकते और हमें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। वहां के बुजुर्ग किसान का कहना था कि पिछले 50 सालों से रोड नहीं बनी जबकि सांडेराव से शॉर्टकट रानी जाने के लिए यह रास्ता निकलता है। लेकिन प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं देता। एक और सरकार द्वारा गांव के विकास के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन हकीकत में गांव की हालत खस्ता नजर आ रही ।