पाली,,, 171 साल पुरानी बादशाह की सवारी पर रोक कर निर्णय मंगलवार को पूरे शहर में चर्चा का विषय रहा कुछ संस्थाओं की सुझाव पर शाम तक तय हुआ कि इस परंपरा को नई स्वरूप में जारी रखा जाए यानि अब बादशाह की बजे यह सब सांवलिया सेठ के नाम से होगा। इसे सांवलिया सेठ की सवारी का नाम दिया गया है सुझाव आया कि खर्ची जब सुकून है शगुन है तो बादशाह ही की ही क्यों सांवरिया सेठ की क्यों नहीं संयोजक राधेश्याम चौहान ने बताया दो दिन पहले विभिन्न संगठनों की मीटिंग में 171 साल से निकाले जाने वाली बादशाह की सवारी पर रोक लगा दी थी। लेकिन सर्विस समाज की ओर से निर्णय लिया गया कि अब बादशाह की सवारी न होकर सांवलिया सेठ की सवारी के नाम से ही कार्यक्रम धानमंडी में आयोजित होगा। खर्ची भी वही बाटेंगे। और प्रतिनिधियों ने 26 मार्च को सांवलिया सेठ की खर्ची बाद में का निर्णय लिया और सर्व समाज द्वारा बादशाह की सवारी को रोकने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा की गुलामी का प्रतीक बंद हुआ अब घर-घर सांवलिया सेठ की खर्ची पहुंचेगी। साथ ही बुधवार शाम 4:00 बजे धान मंडी में धनी बढ़ने के साथ भेरुजी को पाठ बिठाया जाएगा ।
सर्व समाज भी सहमत हुआ कहां निर्णय स्वागत योग्य ।
हिंदू महोत्सव समिति की बैठक में सर्व हिंदू समाज के सेकडो लोगों के बीच सोमवार को आरएसएस के कमल गोयल के नेतृत्व में बादशाह की सवारी पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया था इसके ठीक दूसरे दिन सामाजिक संस्थाओं द्वारा सांवलिया सेठ की सवारी निकलने के निर्णय का गोयल ने भी समर्थन किया है उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य है हम भी साथ रहेंगे और सहयोग करेंगे।
बादशाह की जगह अब सांवलीया सेठ बाटेंगे खर्ची ऐसा क्यों ? खबर को पूरा पढ़े,,,,,
