मर्यादा मे रहने से पापकर्म का बंध नहीं होता, साध्वी मंजुलज्योति जी

पाली।आचार्य श्री रघुनाथ स्मृति जैन भवन में विराजित महासती श्री मंजुलज्योति म. सा. आदि ठाणे 5 की निश्रा व संघ के तत्वाधान में जप तप एवं धर्म ध्यान से चल रहा है।

महासती जी ने प्रवचन मे बताया की प्रभु महावीर ने 11 अंग में 7 वा अंग श्री उपासंगदशा सूत्र में बताया है कि श्रावक जीवन में 12 व्रतों का अर्थात नियमो का बहुत महत्व है। जब जीवन में नियम होता है तो वो हमे मर्यांदित रहना सिखाते है, मर्यादा से व्यक्ति बहुत सारे पाप कर्म से बच जाता है और पुण्य का बंध होता है । आगामी 1 सितम्बर से प्रयुषण पर्व आ रहा है सभी अपने कर्मो की निर्जरा हेतु तप त्याग, धर्म ध्यान करे।
सज्जन राज गुलेच्छा ने बताया की श्री मरूधर केसरी मित्र मण्डल द्धारा आयोजित द्वय गुरूदेव के जीवन पर लिखित प्रतियोगिता भारत में समाये गुरू मरूधर केसरी, च चौबीस तीर्थंकर, जैन ध्वज, जैन लोगो प्रतियोगिता के पुरस्कार के लाभार्थी स्मृतिशेष श्रीमती तारादेवी श्री शुभराजजी, अशोककुमार, राजेन्द्रकुमार, महेंद्र, सुनील सुराणा परिवार (सुराणा डाई केम) की ओर से रहे।

पदमचंद ललवानी ने बताया कि अनिल कुमार बुरड़ पुत्र बुद्ध राज बुरड़ ने 16 उपवास की तपस्या के प्रत्याख्यान लिये संघ द्वारा तपस्वी का संघ द्वारा स्वागत किया गया।

उपमंत्री संपतराज तातेड ने बताया की प्रवचन में अध्यक्ष गौतमचन्द कवाड, पुखराज लसोड़, महेन्द्र जैन, हुकमीचन्द संचेती, धनपत चौपडा, मनमोहन गांधी, प्रकाश कटारिया, सोमचंद नाहटा, धनपत चोपड़ा, तिलोक चन्द गुलेच्छा सज्जनराज धारोलिया, प्रकाश भरकतिया आदि मौजूद रहे।

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